तनिष्क, पेरिस और कल्पना; Tanishq, Paris and Imagination
NOTE: The Hindus for Human Rights blog is a space for a healthy exploration of ideas pertinent to our mission. The views and opinions expressed in this blog are those of the author and do not necessarily reflect the official policy or position of Hindus for Human Rights.
तनिष्क, पेरिस और कल्पना
दीपक गुप्ता
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एक समाज जो दावा करता है की सबसे पुराना है, वो एक विज्ञापन से इतना आक्रामक हो उठा की कंपनी को विज्ञापन वापस लेना पड़ा !
हिन्दू उसे अपनी जीत बता रहे हैं ! वो ये कह रहे हैं की हिन्दू खड़ा हो गया तो देखना सब कुछ बंद करवा देगा !
बस यही संघर्ष है , वो सब कुछ बंद करना चाहते हैं और हिन्दू का अर्थ ही है खुलापन।
हमारे धर्म का उदय मनुष्य की उच्चतम कल्पनाओं से उपजा है।
विज्ञापन क्या है एक कल्पना ही तो है।
ऋषियों की पवित्र कल्पनाओं से निकल कर आप एक विज्ञापन जैसी बाजारू कल्पना से डर गए !
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पेरिस के सड़को पर एक शिक्षक को मार दिया गया क्योंकि उसने पैगम्बर का कार्टून दिखा दिया !
कार्टून क्या है एक कल्पना ही तो है , १५०० वर्ष पुराना धर्म कार्टून से आहत हो गया !
अब हिन्दू ऐसा नहीं कह सकते की मुसलमान तो ऐसे ही हैं , क्योंकि आप एक विज्ञापन नहीं झेल पाए।
यही तर्क है हमारा पांच हजार साल की यात्रा में आपने जो कुछ भी अच्छा जोड़ा था वो ख़त्म करके आप इस्लाम से नीचे आ गए हो !
इस्लाम की कट्टरता ने मुसलमानो का जीना हराम कर दिया है , हमारी कट्टरता हमें खत्म कर रही है !
तनिष्क पर आँखे दिखाने वालों ने उत्तर प्रदेश की अपनी हिन्दू बेटियों के होते बलात्कार पर आँख दिखाई क्या ?
वहां तो लड़की भी हिन्दू है और बलात्कारी भी !
मुसलमान के घर हिन्दू लड़की नहीं जानी चाहिए, भले ही कोई हिन्दू उनका दमन करे तो कोई बात नहीं ?
कैसा हमें बना दिया गया है , तनिष्क पर जीत कर खुश है और अपनी बच्चियों के दमन पर चुप , क्योंकि वो सरकार 'हिन्दुओं' की है !!
आपको अपना धर्म प्यारा है तो धार्मिक की तरह सोचिये,
एक जानवर की तरह सोचेंगे तो आपका धर्म मर जाएगा।
दुर्भाग्य यह है कि धर्म जो श्रेष्ठ मनुष्यों की श्रेष्ठ कल्पना से निकला था , उसे दुनियादारी की विज्ञापन जैसी कल्पनायें ख़त्म कर रही है !
तनिष्क के शोरूम के बाहर हिन्दू धर्म वैसे ही घायल पड़ा है
जैसे इस्लाम पेरिस की सड़को पर दोनों तरफ के गुंडे अपने अपने धर्मों को घायल कर उसे अपनी 'जीत' बता रहे हैं।
Tanishq, Paris and Imagination
by Deepak Gupta
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Followers of a religion that claims to be the oldest, got so angered by an advertisement that the company had to take it back.
Hindus claim it as their victory. They are saying, see this shows our strength, if we Hindus stand up, we can stop everything.
This is the conflict, they want to stop everything while we believe in an open, liberal Hinduism, as it has been since centuries.
Our religion is a manifestation of higher thoughts of sages.
A religion that came out of such great intellect and imagination got scared from a mundane imagination of market, what a pity!
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A teacher is murdered on the streets of Paris, just because he showed a cartoon of prophet Mohammed to his students!!!
What is a cartoon, merely an imagination, but a religion that claims to be 1500 year old got hurt!!
In reaction 2 Muslim women were killed in France.
Now Hindus can't claim we are not like them because you too reacted the same way, on an ad.
This is what our argument is, by giving away all the goodness that Hindus earned in 50000 years of their glorious history, they are now coming lower than Islam.
The Fundamentalism of Muslims has made life hell for a practicing Muslims. Our fundamentalism is destroying us.
Have you ever seen these Hindu leaders raising any hue and cry over continuous rape and killing of girls in Uttar Pradesh?
There, offender and victim both are Hindus.
What has happened to us? Rape is a serious real issues, but we don’t want to raise our voice, while we raise it for a phony issue of Tanishq ad.
All this because we have been told UP government is of ‘Hindus’.
If you really love your religion, think like a religious person. if you will think like an animal and go on trying to 'PROTECT' your religion, that religion for sure will die.
The tragedy of our times is Hinduism which came out of our best thoughts is feeling threatened by small ads of the market.
What a farce!
Hinduism lies wounded in front of Tanishq showrooms, just like Islam lies battered on the streets of Paris
While 'vultures' on both sides, celebrate their victory.