हे निर्लज्ज, इस्लाम का अपयश तुम ही हो!

— दीपक गुप्ता, HfHR Cofounder

NOTE: The Hindus for Human Rights blog is a space for a healthy exploration of ideas pertinent to our mission. The views and opinions expressed in this blog are those of the author and do not necessarily reflect the official policy or position of Hindus for Human Rights.

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बेंगलोर केवल एक शहर नहीं , बंगलोर हमारी आधुनिक आकांक्षाओं का सबसे जीवंत प्रतीक है ! एक शहर को जैसा होना चाहिए बंगलोर वैसा ही है , आज की जरूरतों से निर्देशित किंतु अपने अतीत, विरासत के साथ लेकर चलता हुआ !

हाईटेक कंपनियों के बीच हर दो किलोमीटर पर मंदिर/मस्जिद और उनमे उन्ही हाई टेक कंपनियों के नौजवान शामिल !!सांस्कृतिक चेतना से संपन्न, सुसंस्कृत आधुनिक शहर !!

अन्य उत्तर भारतीय शहरों की तरह कचरे, और कंक्रीट का अराजक जंगल नहीं है, जहाँ हर जगह गुंडे और गलीच पलते हैं।

अन्य भारतीय शहरों की तरह कमोबेश यहाँ हिन्दू मुस्लिम के झगडे नहीं हैं या कम हैं !

कोई हिन्दू मुस्लिम मुद्दा नहीं होने के बावजूद कुछ हजार मुसलमान इकठ्ठा होते हैं और पूरी रात इतने शानदार शहर को जला देते हैं जिसे बनाने में उनका योगदान शायद सबसे कम होगा !!

कोई तकलीफ नहीं, कोई झिझक नहीं, कहाँ से लाते हो इतनी निर्लज्जता ??

इस्लाम में तो शायद नहीं है !! तुम यही कहते हो इस्लाम में तलवार नहीं है , किन्तु कर्म तो देखो अपने ?

कारण क्या बताया , पैगम्बर मोहम्मद साहब के खिलाफ किसी ने कुछ चिढ़ाने के लिए लिख दिया, आप भड़क गए और आग लगा दी !!

पैगम्बर साहब के बारे में पढ़े हो क्या निर्लज़्ज़, कितनी गालियां खाई थी उन्होंने, इतने अराजक, घटिया समय में , जानवर जैसे लोगों के बीच पैदा हुए, हारे नहीं, लड़े, और इस्लाम को स्थापित किया तो जानवरों को इंसान बनाने की उनकी कोशिश से जन्मा है इस्लाम !!

और उनके नाम का सहारा लेकर तुम वहशी कैसे हो जाते हो भाई ?? ये पहला मौका नहीं है , चार्ली अब्दो का भी क़त्ल किया गया !

वैसे भी रौशनी किसे लेनी है, सभी को तो आग लगानी है !! और किसी दूसरे देश में नहीं वही, जहाँ अपन रहते है उससे दो इंच दूर !!

यदि किसी के कुछ कहने से इस्लाम छोटा होता है तो उसे बोर्नवीटा पिलाओ , बड़ा करो, तुम ये पाओगे की इस्लाम तो बड़ा ही है , तुम बहुत छोटे हो !!

तुम्हारा कहना है, पुलिस में रिपोर्ट लिखने गए उसने नहीं लिखी , अरे भाई जानते नहीं क्या पुलिस किसी की नहीं लिखती , तुम कौन हो मेहमान हो क्या , पुलिस की रिपोर्ट नहीं लिखेगी तो आग लगा दोगे ?

जैसे मक्का है न, वैसे ही 'बंगलौर' आधुनिकता का 'मक्का' है ! बंगलौर हमारी उम्मीद है भविष्य की !! तुम रोशनी की बीच बैठकर , इतने काले कैसे रह गए भाई!!

वहशी भाई, दुनिया बदल गयी है , कभी सऊदी अरब गए हो , उसने भी इजराइल से सम्बन्ध बना लिए हैं , अब तुम्हारा इजराइल से हजार साल लड़ने का सपना कहाँ गया? बुर्ज खलीफा पर इजराइल का झंडा लगा है भाई !!

हर मुसलमान को अब वक़्त है की इस्लाम की रक्षा करना छोड़ के भारत का झंडा उठाना होगा !!

इसलिए कि इस वक्त हिंदुस्तान को बनाना या बिगाड़ना, जितना आपके हाथ मे है, उतना पहले कभी नही था। इस जालीदार टोपी के पाक धागों पे इस देश के 130 करोड़ लोगों का मुस्तकबिल टिका है।

इतनी बड़ी जिम्मेदारी किसी और दौर में नही थी। । इसलिए कि "आपका होना", मुसलमान का होना ही सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है।इस मुल्क हर समस्या का 'कारण' आपको बनाया जा रहा है !!

आप क्या करैं ? तो इग्नोर करना सीखिए, नजरअंदाज करिये !! धैर्य रखिये।।

यह धैर्य ही भारत को इस दौर से सुरक्षित निकाल ले जाएगा।

क्या आपको लगता है की ये कहकर छोटा किया जा रहा है ?

क्या आपको 'डरा' रहा हूँ ?

यदि ऐसा है तो सचाई सुन लीजिये

'आपसे ज्यादा डरे हुए तो हम हैं, हर वह हिंदुस्तानी जो केवल हिन्दू और मुसलमान बनकर रहना नहीं चाहता है और इस देश से प्रेम करता है डरा हुआ है ?

हमें डर है, आपसे नही, आपके बहाने हमारे अपनो की लगाई जाने वाली आग से।।

इसलिए बंगलौर को रोक दीजिये !!

कितनी दीवारें उठी हैं एक घर के दरमियाँ , घर कहीं गुम हो गया दीवारो-दर के दरमियाँ।।

बस्तियाँ मायूस हुई यूँ उजड़ी की वीरान हो गईं , फासले बढ़ने लगे जब घर से घर के दरमियाँ ।।

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